ऋषिकेश। एम्स, ऋषिकेश में कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह की देखरेख में आयोजित छठे डायबिटिज एजुकेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत विशेषज्ञ चिकित्सकों ने मधुमेह रोगियों को होने वाली दिक्कतों पर व्याख्यानमाला प्रस्तुत की गई। जिसके माध्यम से प्रशिक्षणार्थियों को डायबिटीज से ग्रसित मरीजों की सहायता संबंधी जानकारियां दी गई।
आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला में डॉ. संतोष कुमार ने मधुमेह से ग्रसित मरीजों को होने वाली मानसिक दिक्कतों से प्रतिभागियों को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि हमें मरीजों को सिर्फ दवा से ठीक ही नहीं करना है बल्कि स्वयं को मरीज की जगह रखकर सोचने और इस लिहाज से उन्हें बेहतर से बेहतर उपचार उपलब्ध कराना है।
डॉ. वैंकटेश पई ने मधुमेह ग्रसित मरीजों को होने वाले दर्द और उसके निवारण संबंधी जानकारियां दी। डॉ. मुकेश बैरवा ने प्रतिभागियों को मधुमेह में होने वाली जटिलताओं के बारे में बताया व अस्पताल में भर्ती होने पर मरीज को दिए जाने वाले आवश्यक उपचार संबंधी जानकारियां दी।
डॉ. राजेश कुमार ने ग्रसित मरीजों को होने वाली विभिन्न तरह की मानसिक बीमारियों पर चर्चा की। डॉ. बैल्सी ने मरीजों की काउंसलिंग व काउसलिंग के लिए किस तरह के गुण होने चाहिंए जिससे हम उन्हें बेहतर सलाह दे पाएं आदि बिंदुओं से अवगत कराया।
डॉ. प्रसूना जैली ने गर्भावस्था में होने वाले मधुमेह को किस तरह सक कंट्रोल किया जा सकता है। दीपिका चौहान ने हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स के लिए भारत व दुनिया के देशों में डायबिटिक काउंसर के कोर्सेस व ट्रेंड डायबिटिक काउंसलर बनने के गुर सिखाए।
इस अवसर पर प्रशिक्षणार्थियों ने एंडोक्राइन लैब व गेट लैब का अवलोकन किया और मधुमेह ग्रसित रोगियों को प्रयोगशालाओं के माध्यम से मिलने वाली गेट थेरेपी के उपयोग व सहायता, पीड़ित मरीजों के पैरों में होने वाले जख्मों की नई तकनीकियों की सहायता से बचाव संबंधी जानकारियां हासिल की।