पेयजल विभाग ने दिसंबर 2020 के अपने आदेश में बताया नियम विरुद्ध , लेकिन 2023 में बताया वैध
देहरादून। उत्तराखण्ड की लोकप्रिय सरकार कई बेहतरीन निर्णय कर रही है , नकल करने वाले सलाखों के पीछे है तो नकल करवाने वाले भी जेल में है। सालों से अवैध नियुक्तिधारी कितने ही शिक्षकों पर गाज गिर गयी। कई विभागों मे अवैध नियुक्तिधरियों को बर्खाश्त किया जा चुका है। कई रिश्वत खोर पकडे जा चुके है , कई भ्रष्ट अधिकारीयों की विजिलेंस जांच चल रहे है।
लेकिन इसी राज्य में इन सबके ऊपर एक विभाग ऐंसा भी है जिसके ऊपर किसी भी भ्रष्टाचारी पर कार्यवाही तो दूर की कौड़ी बल्कि समय समय पर प्रमोशन का गिफ्ट दिया जाता है और देहरादून या अन्य मैदानी क्षेत्रों में ही तैनाती दी जाती है।
जंहा एक ओर जातिप्रमाण पत्र को लेकर राज्य की एक महिला अधिकारी को बर्खाश्त कर दिया गया वंही इसी राज्य में बाहरी राज्य के लोगों को आरक्षण में उत्तराखंड में नौकरी दी गयी और सारी जाँच सामने आने पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी।
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड पेयजल निगम में वर्ष 2005 व 2007 में सहायक अभियंता के पदों पर बिहार , उत्तर प्रदेश सहित दिल्ली के लोगों को आरक्षण देकर नौकरी दी गयी थी जबकि राज्य स्तरीय सेवाओं में आरक्षण का लाभ सिर्फ उत्तराँचल के निवासियों को ही दिया जाना था।
इन अवैध नियुक्तिधरियों की जाँच हुयी और पेयजल विभाग ने वर्ष दिसंम्बर 2020 मे अपने आदेश में स्पष्ट किया कि इनकी नियुक्ति उत्तराखंड में नियम विरुद्ध हुयी और पेयजल निगम प्रबंधन को कार्यवाही के लिए लिख दिया लेकिन पेयजल निगम प्रबंधन ने कार्यवाही क्या इनके खिलाफ चार्जशीट तक नहीं दी और उलटे इन्हे प्रमोसन दे दिया।
गजब तो तब हुवा जब पेयजल विभाग उत्तराखंड शासन ने अपने ही दिसंबर 2020 के आदेश को दरकिनार करते हुए मई 2023 में इन अवैध नियुक्तिधारी महिलाओं की नियुक्ति वैध बता दी।
ऐंसे में अब यह देखना होगा कि पेयजल निगम वर्तमान प्रबंध निदेशक इस मामले पर क्या कार्यवाही करते है या नियम कायदे सिर्फ उत्तराखंड के निवासियों के लिए ही लागू होते हैं।