जन्नत से कम नही सरूताल , जानिए क्या क्या हैं खूबियां

उत्तरकाशी में चौदह हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित है यह ताल,बुग्याल

 

चंद्र प्रकाश बुड़ाकोटी

देहरादून ( सक्षम उत्तराखण्ड ) । भारत के राज्यों में उत्तराखंड पर्यटन के लिहाज से अद्वितीय है। जिसमे पर्वतराज हिमालयी प्रदेश के ताल बुग्याल इसकी सौंदर्यता को चार चांद लगा देते है। ताल, बुग्यालों के इस राज्य में सरुताल एक ऐसा ताल, बुग्याल है जिसको कुदरत ने बड़ी ही कारीगरी से सुंदरता प्रदान की है। लेकिन सरकार के अदूरदर्शी सिस्टम की उपेक्षा से आज भी शेष दुनिया से अपरिचित है। हिमालय की गोद मे बसे उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद के बडियार घाटी के नौगांव, पुरोला, मोरी विकास खंड के केंद्र में बिराजित 14000 फिट की ऊंचाई पर सौंदर्य से भरपूर सरुताल बुग्याल की सैर करना किसी जन्नत से कम नही है। इस (ताल) के बारे में कहा गया है कि सरुताल में साक्षात देवदर्शन होते है। बडियार के जसवीर सिंह कहते है कि कालांतर मे इस ताल में इंद्र देव की परियां प्रातः कालीन स्नान करती थी। देहरादून से बड़कोट होते हुए सड़कमार्ग से 175 किलोमीटर की दूरी तय कर सरनौल तक गाड़ी से पहुंचा जा सकता है। जहां से आगे डिगाडी डौगलुका धार होते हुए पैंतीस किलोमीटर की दूरी पैदल ही करनी पड़ती है।

 

असंख्य औषधि जडीबूटी

सौंदर्य से परिपूर्ण असंख्य रंग बिरंगे फूल औषधीय जड़ी बूटियां जिसमे जयांण, लेनु भटू, ब्रह्मकमल, गूगल, कौड़ाई अतीस भी यहाँ मिलती है। प्राकृतिक खूबसूरती, हरियाली, पर्वत, झीलें , कलकल करती नदियों के आनंद दायक सफर कर सरुताल पहुंचते है। इस बुग्याल, ताल में आने से शीतल आबोहवा, हरेभरे मैदान और खूबसूरत पहाडि़यां, ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने यहां अपने अनुपम सौंदर्य की छटा दिल खोल कर बिखेरी है। पुरोला तहसील के रेवड़ी, गुंदीयाट गांव, कंडियाल गांव, नाग झाला, मोल ताडी, महर गांव, उद कोटि, बड़कोट तहसील के पौंटी मोल्टा, जखाली, धौसाली, गैर बनाल, गंगताड़ी, सरनौल व मोरी तहसील के ठाटमीर, ओसला, पाँवणी, गंगाङ, देवजानी, जेबाणु आदि गांवो के लोग कालिया नाग को इष्टदेव के रूप में पूजते है इस यात्रा के दौरान जगह जगह नाग देव के दर्शन भी होते है।

नालो का उदगम स्थल है सरुताल

स्थानीय लोगों का कहना है कि पूर्व में इस ताल में एक गड़रिया की बांसुरी गिर गयी थी। जो कि सरगांव के सात नाले जलस्रोतों के पास मिली थी। तब से ही, नालों का उद्गम स्थल सरुताल को माना जाता है । यह ताल सौ मीटर के दायरे में फैला हुआ है।
यही वजह है कि देशी और विदेशी पर्यटक यहां अनायास ही उत्तराखंड की धरती में खिंचे चले आते हैं, और सुकून अनुभव करते हैं। अपनी इन्हीं खूबियों के चलते उत्तराखंड घुमक्कड़ों की पसंदीदा जगह बनी है। बस जरूरत है शेष दुनिया से अपरिचित सरुताल को दुनियां के सामने में लाने की।

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