प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना निर्माण व मरम्मत कार्यों में अनियमितता

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना निर्माण खण्ड रूद्रप्रयाग के मोटर मार्गों का मामला

रमेश डोभाल/सतेश्वर प्रसाद सती

रूद्रप्रयाग।  अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल से प्रारम्भ प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पी॰एम॰जी॰एस॰वाई॰), जिसमें 250 की ग्रामीण आबादी को मोटर मार्ग से जोड़ने का लक्ष्य तय कर पलायन रोकना और रोजगार दिया जाना प्राथमिक तौर पर वर्णित किया गया। सिंगल विण्डो आनलाइन निविदाओं के आमंत्रण के कारण निर्माण कम्पनियाँ , ठेकेदार व मोटर मार्गों की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते आ रहे हैं।

टेमरिया -बरमवाड़ी खस्ताहॉल मोटर मार्ग

 

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना सिंचाई विभाग निर्माण खण्ड, रूद्रप्रयाग के पास वर्तमान समय में 32 ग्रामीण मोटर मार्ग संचालित हैं, जिसमें अधिकतर डी॰एल॰पी॰ (डिफेक्ट लायबिलिटीज़ प्रोग्रेेस) के अन्तर्गत अधिकतम मोटर मार्गों पर पंच वर्षीय मरम्मत के कार्य हो रहे हैं, पर मोटर मार्गों की स्थिति को देखते हुए नहीं लगता है कि इसमें निर्माण कार्यों से लेकर मरम्मत के कार्य सही ढंग से किये जा रहे हैं, जिसमें सरासर कार्यदायी विभाग निर्माण खण्ड पी॰एम॰जी॰एस॰वाई॰ के अभियन्ताओं की गतिविधियाँ और देख-रेख तथा निर्माण कार्यों के सापेक्ष हुए भुगतान को संदेह के घेरे में खड़ा करती है। इन मोटर मार्गों पर नालियाँ मलवे से दबी हुई हैं, जिससे बरसाती पानी का तेज बहाव सड़कों की स्थिति को दयनीय बना रहा है और यही बरसात का पानी ग्रामीणों के आवासीय भवनों, गौशालाओं और खेतों को भारी नुकसान पहुँचा रहा है।

टेमरिया -बरमवाड़ी खस्ताहाल मोटर मार्ग का दृश्य

इसी निर्माण खण्ड के अन्तर्गत नगरासू – कोट – जसोली मोटर मार्ग, लम्बाई 15 कि॰मी॰ की वर्तमान हालत देखकर लगता है कि इसमें कोई भी मरम्मत कार्य नहीं हो रहे हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग (ऋषिकेश-बदरीनाथ) से मात्र 1 कि॰मी॰ दूर मवाणा नामक तोक पर बरसाती पानी सीधे ग्रामीणों के आवासीय मकानों में नुकसान पहुँचा रहा है, जिसका न तो कार्यदायी विभाग संज्ञान ले रहा है और न ठेकेदार ने बरसाती पानी को रोकने के लिए मात्र 500 मीटर नीचे बह रहे गदेरे में उपरोक्त सड़क पर बह रहे पानी के निकास का कोई प्रयास नहीं किया है और स्कपर को साफ कर पानी की निकासी के लिए अभी भी कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। ऐसे मोटर मार्गों का क्या औचित्य है, जो लोगों को सुविधा की जगह पीड़ा पहुँचा रहे हैं। इसी क्रम में शिवानन्दी से सिमतोली मोटर मार्ग में दिखाये गये चित्र में स्कपर की दयनीय स्थिति को साफ देखा जा सकता है। इसी मोटर मार्ग पर वायरक्रेट निर्माण का एक मात्र नमूना दिखाने का घटिया प्रयास किया गया, जो कि अत्यन्त अफसोस जनक है, जबकि साइन बोर्ड में 431.66 घनमीटर वायरक्रेटांे के निर्माण का प्राविधान है। इस वायरक्रेट के नमूने से संपूर्ण निर्माण कार्य व प्रथम वर्ष में हुए अनुरक्षण कार्यों के संदेहास्पद स्थिति को प्रकट करता है।

बावई -फलासी मोटर मार्ग पर वायरक्रेट के औपचारिक दीवाल का नमूना

इसी तरह रतूड़ा – लुगई – डुंग्री मोटर मार्ग लम्बाई 5 कि॰मी॰, जिसमें कच्ची नाली/पक्की नाली की सफाई और निर्माण न होने से बरसाती पानी मोटर मार्ग के बीचों-बीच बहता हुआ डामर को उधेड़ रहा है और स्कपर, रिटेनिंग दीवारें, काॅजवे तथा एजिंग को नुकसान हो रहा है। वायरक्रेट के नमूने से प्रतीत होता है कि कार्यदायी विभाग और निर्माण कम्पनी व ठेकेदार ने संपूर्ण इस मोटर मार्ग को इसी तरह निर्माण करने का प्रयास किया है। रूद्रप्रयाग से गौरीकुण्ड मोटर मार्ग से लगे बंगथल से बैंजो मोटर मार्ग के शुरूआत में ही सभी साइन बोर्ड झाड़ियों में छुपे हुए पाये गये। निर्माण कम्पनी व ठेकेदार के द्वारा साइन बोर्डों के आगे जमीं घास-फूस व झाड़ियों को हटाने का प्रयास भी नहीं किया, जबकि अनुरक्षण मद में स्पष्ट प्राविधान है कि घास और झाड़ियों की सफाई, स्लिप की सफाई, पटरियों की ड्रैसिंग, स्टोन की सफेदी, डिस्टर्ब एज स्टोन को लगाना, बन्द स्कपर को खोलना, साइड ड्रेन की सफाई वर्ष में एक-दो बार अवश्य करनी पड़ती है। अनुरक्षण मद में 8 गतिविधियों का प्राविधान है, पर कार्यांे को देखकर प्रतीत होता है कि विभाग और निर्माण कम्पनियाँ बजट को मात्र ठिकाने लगाने के प्रयास में ही कार्य करती हैं।

सनबैंड से स्यूण्ड मोटर मार्ग पर
कच्ची दिवार के निर्माण का दृश्य

रूद्रप्रयाग – गौरीकुण्ड मार्ग पर ही भीरी से लगे मंदाकिनी नदी के पार टेमरिया – बरम्वाड़ी मोटर मार्ग की स्थिति अत्यन्त दयनीय और खस्ताहाल है। इस मोटर मार्ग पर नालियों के बन्द होने से जगह-जगह डामर उखड़ा हुआ है और मोटर मार्ग पर पानी बेतरतीब रूप से भरा हुआ है, जिस कारण ग्रामीण बार-बार इस मोटर मार्ग की स्थिति से परेशान है। चित्रों में मोटर मार्ग की स्थिति से साफ समझा जा सकता है। रूद्रप्रयाग से कलैक्ट्रेट होते हुए चोपता – सतेराखाल मोटर मार्ग से लगा रानीगांव – पौला – भैंसगांव मोटर मार्ग की दयनीय स्थिति है। भैंसगांव पर खड़ी ढ़ाल पर कई बार वाहन पलटते-पलटते बचे। इस मोटर मार्ग पर जहाँ पर आवश्यकता नहीं थी, वहाँ पैरापिट और क्रैश बैरियर बेवजह बनाये गये। एक ग्रामीण ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि दो वर्ष पूर्व आर॰टी॰ओ॰ और उनके पीछे 2-3 गाड़ियाँ आयीं और ग्रामीणों से बिना बात किये हुए वापस चले गये। परिवहन विभाग, कार्यदायी विभाग और निर्माण कम्पनियों ने ग्रामीणों की पीड़ा और परेशानी को नजरअंदाज कर अपनी मनमानी से इस मोटर मार्ग पर हमेशा यातायात करने वाले ग्रामीणों की उपेक्षा की है। इसी प्रकार बावई – फलासी मोटर मार्ग पर जाते ही फलासी गांव के ग्रामीणों ने काफी शोरगुल किया और बताया कि नाली न बनने से खेतों और गदेरों का पानी मोटर मार्ग से होते हुए गांव के मकानों, गौशालाओं और चैक को भारी नुकसान पहुँचा रहा है। इसी मोटर मार्ग से लगा कोल्हू बैंड – फेगू मोटर मार्ग की स्थिति और उसकी ढ़ाल की स्थिति बड़ी दयनीय और खतरनाक है और इस मोटर मार्ग पर दुर्घटना की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।

सनबैंड से स्यूण्ड मोटर मार्ग पर एक गदेरे के जल निकासी क़ो अवरुद्ध करता पुलिया के आगे डंप मलवा

सफर की समाप्ति में सनबैंड से स्यूंड – सतेराखाल संपर्क मोटर मार्ग कि॰मी॰ 9 को ग्रामीणों के विरोध के कारण 3 अलग-अलग लिंक मार्गों में विभाजित कर दिया गया, पर निर्माण कार्यां की अत्यन्त दयनीय स्थिति उपरोक्त मोटर मार्गो की तरह बयां करती है। स्यूंड गांव से मात्र 200 मीटर आगे छोटे गदेरे पर बनी पुलिया के आगे मलवे का ढेर लगा हुआ है, जिससे गदेरे का पानी पुलिया के नीचे रूककर भर जाता है, इस पर विभागीय अभियन्ता बताते हैं कि इस मलवे को भविष्य में हटा दिया जायेगा, पर निर्माण कार्य के समय इसको हटाने का प्रयास नहीं किया गया। यहाँ यह स्पष्ट होता है कि विभागीय अभियन्ता कभी भी निर्माण कार्यों की देख-रेख नहीं करते हैं और जो भुगतान हेतु मापन पुस्तिकाएं तैयार की जाती हैं, उसकी धरातलीय वास्तविक जांच संदेह की दृष्टि में है। संवाददाताओं के द्वारा उपरोक्त मोटर मार्गों के स्थानों और तोकों का संज्ञान लिये जाने पर कार्यदायी विभाग के अभियन्ताओं ने पहली बार इन मोटर मार्गों के स्थानों का नाम सुना होगा।

पी॰एम॰जी॰एस॰वाई॰ सिंचाई निर्माणखण्ड रूद्रप्रयाग के लगभग 10 मोटर मार्गों पर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के प्राविधानों के तहत एम॰ओ॰आर॰डी॰ 2016-17 में साफ वर्णित है कि मोटर मार्ग निर्माण के दौरान उत्सर्जित मलवे को निर्धारित डंपिग जोन में ही डंप किया जाय और प्राविधान यह भी है कि प्रत्येक कि॰मी॰ पर डंपिंग जोन का निर्धारण किया जाना आवश्यक है, पर निर्माण कम्पनियों ने एन॰जी॰टी॰ के प्राविधानों की धज्जियाँ उड़ाकर मनमाने ढंग से लोगों के खेतों में, जंगलों में, चरागाहों में मलवा फेंक दिया, जिसका न तो कोई प्रतिकर वितरण किया और न ही गांव के लोगों के द्वारा मना करने पर मलवे का विसर्जन रोका। इस प्रकार डंपिंग जोन निर्धारण और अवशेष मलवे के निस्तारण हेतु किया गया खर्च के मामले में विभाग तथा ठेकेदारों के बीच में मनमाने ढंग से भ्रष्टाचार हुआ प्रतीत होता है। विकास कार्यों की ग्रामीण जीवन रेखा इन मोटर मार्गोंं के घटिया निर्माण और गुुणवत्ता विहीन कार्यों की जांच व कार्यवाही की जानी अत्यन्त आवश्यक है। दोषी अभियन्ताओं तथा निर्माण कम्पनियों की मिलीभगत की जांच की जानी अत्यन्त आवश्यक है, ताकि पलायन रोकने के उद्देश्य से निर्माण की गयी इन मोटर मार्गों पर भारत सरकार द्वारा किये गये वास्तविक व्यय का निर्धारण किया जा सके। इसी कड़ी में केन्द्र और राज्य सरकार के स्तर से गठित स्वतंत्र जांच टीम 1- एन॰क्यू॰एम॰ (नेशनल क्वालिटी मैनेजमेन्ट), 2- एस॰क्यू॰एम॰ (स्टेट क्वालिटी मैनेजमेन्ट) के स्तर से संयुक्त जांच कर दोषी अभियन्ताओं और कम्पनियों पर नुकसान की भरपाई ग्रामीणों से साथ विकास कार्यों के नाम पर धोखाधड़ी तथा सरकार के बदनाम करने की कोशिश के एवज मे विधिक कार्यवाही की जानी आवश्यक है, तभी आधारभूत संरचनाओं के मामले में वास्तविक और सही कार्य सम्पन्न हो पायेंगे।

 

इस पर पी॰एम॰जी॰एस॰वाई॰ सिंचाई निर्माण खण्ड, रूद्रप्रयाग के अधिशासी अभियन्ता का कहना है कि आप प्रकाशन के लिए स्वतंत्र हैं। हमारे मोटर मार्गों के निर्माण और गुणवत्ता सही एवं उचित है।

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