नमामि गंगे के उद्देश्य को लेकर केंद्र सरकार ने कही ये बात , 2026 तक के लिए बढे कार्यक्रम के लिए जारी की बड़ी धनराशि
नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गंगा नदी के पानी को स्नान के लिए उपयुक्त बनाना है, पीने के लिए नहीं। जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडु ने कहा कि नदी संरक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य खुले में स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता को लेकर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अधिसूचित मानदंडों को पूरा करना है न कि पेयजल की गुणवत्ता को।
उन्होंने कहा, ‘‘सतही जल को, जिसमें नदियों का जल भी शामिल है; पीने योग्य या मानव उपभोग के लिए उपयुक्त बनाने के लिए आवश्यक उपचार व शुद्धिकरण से गुजारा जाना अपेक्षित है।’’ उन्होंने कहा कि गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों को फिर से जीवंत करने की खातिर 31 मार्च, 2021 तक की अवधि के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम जून 2014 में शुरू किया गया था।
कार्यक्रम को बाद में 31 मार्च, 2026 तक के लिए बढ़ा दिया गया था। मंत्री ने कहा कि 2014-15 से 31 दिसंबर 2022 तक राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) को कुल 13,709.72 करोड़ रुपये जारी किए गए थे, जिनमें 13,245.68 करोड़ रुपये राज्य सरकारों, स्वच्छ गंगा राज्य मिशनों और अन्य एजेंसियों को गंगा संरक्षण से संबंधित परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए वितरित किए गए हैं।